Saturday, 12 May 2018

विष्णु अवतार व नव ग्रहों में सम्बन्ध



विष्णु अवतार व नव ग्रहों में सम्बन्ध

बृहत्पाराशरहोराशास्त्र अथावतारकथनाध्याय के श्लोक नंबर 5-6-7 में पाराशर जी कहते हैं की धर्म स्थापना के लिए सूर्य आदि ग्रहों से ही शुभप्रद अवतार हुए हैं सूर्य से राम अवतार का, चंद्रमा से कृष्ण अवतार का, मंगल से नरसिंह अवतार का,  बुद्ध से बुद्ध अवतार का, बृहस्पति से वामन अवतार  का, शुक्र से परशुराम अवतार जी का,  शनि से कूर्म अवतार का, राहु से वराह अवतार का और केतु से मीन अवतार हुआ है|


सूर्य – श्री राम

“श्री राम जय राम जय जय राम”
  यह सात शब्दों वाला तारक मंत्र है। साधारण से दिखने वाले इस मंत्र में जो शक्ति छिपी हुई है, वह अनुभव का विषय है। इसे कोई भी, कहीं भी, कभी भी कर सकता है। फल बराबर मिलता है।


चन्द्र – श्री कृष्ण
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री
यह 23 अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र है जो जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा को दूर करने मंं सहायक सिद्ध होता है।

मंगल – नृसिंह
“ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||

भगवान नरसिंह को प्रसन्न करने के लिए उनके नरसिंह गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

बुध – बुद्ध
“ ॐ मणि पदमे हूम्‌ “ 
'ॐ मणि पदमे हूम्‌षडाक्षरीय मंत्र है जिसका उल्लेख अवलोकितेश्वरा में किया गया है। यह मंत्र सभी प्रकार के खतरों से सुरक्षा के लिए जपा जाता है।


गुरु – वामन अवतार
“ ॐ तप रूपाय विद्महे श्रृष्टिकर्ताय धीमहि तन्नो वामन प्रचोदयात्। “

जो भक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक वामन भगवान की पूजा करते हैं वामन भगवान उनको सभी कष्टों से उसी प्रकार मुक्ति दिलाते हैं जैसे उन्होंने देवताओं को राजा बलि के कष्ट से मुक्त किया था। विधि-विधान पूर्वक पूजन करने से सुख, आनंद, मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।


शुक्र – परशुराम
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।। "
जप-ध्यान कर दशांस हवन करें तथा हर प्रकार की समस्याएं दूर करें।



शनि – कूर्म अवतार
“ ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:॥ “


घर की पूर्व दिशा में तांबे के कलश में जल, दूध, तिल, रोली, गुड़ पुष्प व अक्षत मिलाकर कलश स्थापित करके कूर्म अवतार का विधिवत पूजन करें। लाल तेल का दीप करें, सुगंधित धूप करें, सिंदूर चढ़ाएं, लाल फूल चढ़ाएं, रेवड़ियों का भोग लगाएं तथा किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में वितरित करें।

राहु – वराह अवतार
“ ॐ नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा।। “

मूंगे की माला या लाल चन्दन की माला से जप करें - इस मंत्र के सवा लाख जप का महत्व है। संभव न हो तो 1 माला नियमित जप भी की जा सकती है। धार्मिक नजरिए से भगवान वराह की पूजा और मंत्र जप सुनिश्चित रूप से भूमि-भवन के सुख देती है। जप के बाद हवन, ब्रह्मभोज का भी महत्व है।


केतु – मीन (मत्स्य)

“ ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥ “

भगवान विष्णु के मत्स्य का विधिवत दोषोपचार पूजन करें। गौघृत में हल्दी मिलाकर दीप करें, मोगरे की धूप करें। केसर चढ़ाएं। गैंदे के फूल चढ़ाएं, बेसन से बने मिष्ठान का भोग लगाएं तथा तुलसी की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में वितरित करें। इस मंत्र का जाप करें। मछलियों को दाना डालें। ऐसा करने से सभी कार्य बनेंगे सारे संकट दूर होगें। नवधान सिर से वारकर पानी में डालें। ऐसा करने से भगवान विष्णु रक्षा करते है।


गुरुजी श्री शक्तिमोहन जी के मार्गदर्शन व मेरी माँ के आशीर्वाद से BY :- वीरभद्र अग्रवाल 
सम्पर्क करें : E-Mail : veerkota@gmail.com, gyastro@gmail.com, https://www.facebook.com/guruseva.jyotish
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