Sunday, 25 February 2018

सरल हवन


सुगम सरल हवन ग्रह दोष निवारक/ मनोकामना पूर्ण हवन विधि
आवश्यक सामग्री -
1.       चौकी (Chawki)
2.       लाल वस्त्र (चौकी के लिये)
3.       दीपक, घी, बत्ती (Lamp, Ghee, Wick)
4.       धूपबत्ती (Dhoopstick)
5.       अक्षत (कच्चा साबुत चावल) (Raw Rice)
6.       गाय के गोबर का उपला
7.       देशी घी
8.       कपूर
9.       गंगाजल, जल
10.   एक गिलास
11.   एक कटोरी
12.   एक छोटा मार्बल टाईल का टुकड़ा
विधि
चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लीजिये.
अपने इष्ट का चित्र चोकी पर रखें
थोड़े से अक्षत चौकी पर रख कर उस पर दीपक रखें
गोबर के उपले को गैस पर अच्छी तरह जला लें
चौकी के आगे मार्बल टाईल के टुकडे के उपर जलते उपले को रख दें
अब दीपक धूपबत्ती प्रज्वलित कर लें,
भगवान् कृष्ण से प्रार्थना करें किहे भगवान् कृपया पधारिये और पूजा ग्रहण कीजिये !
गिलास से हाथ में थोडा सा जल (गंगाजल मिला) लें थोड़े से चावल ले
अब संकल्प लें की प्रभु मैं अमुक कार्य के लिए यह हवन कर रहा हूँ आप ग्रहण करें और जल व चावल पृथ्वी पर छोड़ दें
अब जलते उपले के सामने बाएं तरफ घी की कटोरी/ हवन सामग्री रखें व दायीं तरफ एक कटोरी जल
सबके पहले थोडा सा घी उपले पर चड़ाए
अब एक कपूर का टुकड़ा जला कर उपले पर रख दें
अब मन्त्र बोलने के स्वाहा के साथ चम्मच से थोडा सा घी/ हवन सामग्री उपले पर डालें व चम्मच को पानी की कटोरी से स्पर्श/टच करें
इस प्रकार अपनी सभी आहुतियाँ पूर्ण करें
अंत में फिर हाथ में थोडा सा जल (गंगाजल मिला) लें थोड़े से चावल ले
प्राथना करें प्रभु मैं अमुक कार्य के लिए इस हवन की सभी आहुतियों को आप को समर्पित करता हूँ कृपा कर आप ग्रहण करें और जल व चावल पृथ्वी पर छोड़ दें
सूर्य ग्रह के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
बाजार में नवग्रह समिधा के नाम से सभी ग्रहों की समिधा मिलती है उसमें से सूर्य की समिधा अर्क/ आक की लकडी के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
मन्त्र
तांत्रिक मंत्र : ऊॅं ह्रां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः (जप संख्या 7000)
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम मंत्र - ऊं ह्रीं क्‍लीं सूर्यग्रहारिष्‍टनिवारक श्री पद्मप्रभु-जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || जाप्‍य 7000 ||
दान- गेहूं, तांबा, घी, मसूर, गुड, कुंकुम, लाल कपडा, कनेर के फूल, लाल कमल, बछडे सहित गौ तथा सोना।

चन्द्रमा के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
चन्द्र की समिधा पलाश/ ढाक की लकड़ी के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र - ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम: || 11000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र - ऊं ह्रीं णमो अरिहंताणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र- ऊं ह्रीं क्रौं श्रीं क्‍लीं चंद्रग्रहारिष्‍ट-निवारक श्री चंद्रप्रभु-जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 11000 जाप्‍य ||
दान योग्य वस्तुएं- श्वेत (सफेद) कपडा, मोती, चांदी, चावल, खांड, चीनी, दही, शंख, सफेद फूल, सफेद वृषभ आदि।

मंगल के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
मंगल की समिधा खदिर के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र- ऊं क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: || 10000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो सिद्धाणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र- ऊं आं क्रौं ह्रीं श्रीं क्‍लीं भौमारिष्‍ट निवारक श्री वासुपूज्‍य जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 10000 स्‍वाहा ||
बुध के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
बुध की समिधा अपामार्ग के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र- ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: || 9000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो उवज्‍झायाणां || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र - ऊं ह्रौं क्रौं आं श्रीं बुधग्रहारिष्‍ट निवारक श्री विमल अनन्‍तधर्म शान्ति कुन्‍थअरहनमिवर्धमान अष्‍टजिनेन्‍द्रेभ्‍यो नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 8000 जाप्‍य ||
गुरु के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
गुरु की समिधा अश्वत्थ के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: || 19000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र - ऊं ह्रीं णमो उवज्‍झायाणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र- ऊं औं क्रौं ह्रीं श्रीं क्‍लीं ऐं गुरु अरिष्‍ट निवारक ऋषभ अजितसंभवअभिनंदन सुमति सुपार्श्‍वशीतल श्रेयांसनाथ अष्‍ट जिनेन्‍द्रेभ्‍यो नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 19000 जाप्‍य
शुक्र के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
शुक्र की समिधा उदुम्बर के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र- ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: || 16000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो अरिहंताणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र- ऊं ह्रीं श्रीं क्‍लीं शुक्रग्रह अरिष्‍ट निवारक श्री पुष्‍पदंत जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 11000 जाप्‍य ||
शनि के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
शनि की समिधा शमी के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र - ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: || 23000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो लोए सव्‍वसाहूणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम यंत्र- ऊं ह्रीं क्रौं ह्र: श्रीं शनिग्रहारिष्‍ट निवारक श्री मुनिसुव्रतनाथ जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 23000 जाप्‍य ||
राहु के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
राहु की समिधा दूर्वा के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे.
तान्त्रिक मंत्र - ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: || 18000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो लोए सव्‍वसाहुणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम मंत्र- ऊं ह्रीं क्‍लीं श्रीं हूं: राहुग्रहारिष्‍टनिवारक श्री नेमिनाथ जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 18000 जाप्‍य ||
केतु के लिए हवन सामग्री व मन्त्र
केतु की समिधा कुशा के छोटे छोटे 108 टुकड़े कर के कटोरी वाले घी में मिला लें और एक एक टुकड़े को स्वाहा के साथ अग्नि पर छोड़ दे
तान्त्रिक मंत्र- ऊं स्‍त्रां स्‍त्रीं स्‍त्रौं स: केतवे नम: || 17000 जाप्‍य ||
लघु मंत्र- ऊं ह्रीं णमो लोए सव्‍वसाहूणं || 10000 जाप्‍य ||
मध्‍यम मंत्र - ऊं ह्रीं क्‍लीं ऐं केतु अरिष्‍टनिवारक श्री मल्लिनाथ जिनेन्‍द्राय नम: शान्तिं कुरू कुरू स्‍वाहा || 7000 जाप्‍य ||

सुंदर पत्नी के लिए मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम।।
गरीबी मिटाने के लिए
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो: स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्रयदु:खभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाद्र्रचिता।।
रक्षा के लिए
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।
स्वर्ग और मुक्ति के लिए
सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य हदि संस्थिते।
स्वर्गापर्वदे देवि नारायणि नमोस्तु ते।।
मोक्ष प्राप्ति के लिए
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या विश्वस्य बीजं परमासि माया।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत् त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:।।
सभी के कल्याण के लिए मंत्र
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूत्र्या।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भकत्या नता: स्म विदधातु शुभानि सा न: ।।
भय नाश के लिए
यस्या: प्रभावमतुलं भगवाननन्तो ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु।।
रोग नाश के लिए
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणांत्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।
बाधा शांति के लिए
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनासनम्।।
विपत्ति नाश के लिए मंत्र
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य।
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वंत्वमीश्वरी देवि चराचरस्य।।

राम चरित मानस मंत्र :-
संकट-नाश के लिये राम चरित मानस मंत्र :-
जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु

यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयम् 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिये और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में ''स्वाहा'' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिये। यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिये। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातः काल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिये। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिये। वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही पत्थर की शिला पर बैठकर।
विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्बीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें। यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलायें और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिये।
मंत्र :
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥
पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुये ''नमः'' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुये ग्यारह आहुतियां दें।
पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं।

 

सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति हेतु

यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। 
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
108 बार पाठ करें। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये।

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