नक्षत्रों के देवता और नाम के प्रथम अक्षर
प्रत्येक नक्षत्र के चार
चरण होते हैं | प्रत्येक चरण का एक अक्षर निश्चित है | बालक /बालिका का जन्म नक्षत्र के जिस चरण में होता है
उस से सम्बंधित अक्षर पर उसका नामकरण किया जाता है|
नक्षत्र का नाम
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नक्षत्र का देवता
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नक्षत्र के चार चरणों के नाम
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अश्वनी
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अश्वनी कुमार
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चू चे चो
ला
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भरणीं
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यम
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ली लू ले
लो
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कृतिका
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अग्नि
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अ इ उ
ए
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रोहिणी
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ब्रह्मा
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ओ वा वी
वू
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मृगशिरा
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चन्द्र
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वे वो का
की
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आर्द्रा
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शिव
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कु घ ड०
छ
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पुनर्वसु
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अदिति
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के को हा
ही
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पुष्य
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बृहस्पति
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हु हे हो
डा
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आश्लेषा
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सर्प
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डी डू डे
डो
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मघा
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पितर
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मा मी मू
मे
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पूर्वाफाल्गुनी
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भग
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मो हा टी
टू
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उत्तराफाल्गुनी
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अर्यमा
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हे हो पा
पी
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हस्त
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सूर्य
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पु ष ण
ठ
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चित्रा
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त्वष्टा
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पे पो रा
री
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स्वाति
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पवन
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रू रे रो
ता
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विशाखा
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इन्द्राग्नि
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ती तू ते
तो
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अनुराधा
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मित्र
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ना नी नु
ने
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ज्येष्ठा
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इंद्र
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नो या यी
यु
|
मूल
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राक्षस
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ये यो भा
भी
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पूर्वाषाढ़
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जल
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भू ध फ
ढ
|
उत्तराषाढ
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विश्वेदेव
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भे भो जा
जी
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श्रवण
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विष्णु
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खी खू खे
खो
|
धनिष्ठा
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वसु
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गा गी गु
गे
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शतभिषा
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वरुण
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गो सा सी
सू
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पूर्वा भाद्रपद
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रूद्र
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से सो दा
दी
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उत्तरा भाद्रपद
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अहिर्बुध्न्य
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`दु थ झ
ञ
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रेवती
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पूषा
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दे दो चा
ची
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अग्नि पुराण
के अनुसार प्रति मास अपने जन्म नक्षत्र के दिन नक्षत्र देवता का विधिवत पूजन अर्चन
करने से उस महीने का फल शुभ रहता है और कष्ट की निवृति होती है | जन्म नक्षत्र
ज्ञात न हो तो प्रचलित नाम के पहले अक्षर से नाम नक्षत्र ज्ञात करें और उस नक्षत्र
के देवता की पूजा करें |
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