Monday, 7 September 2020

गण्डमूल विचार


अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और को रखा गया है। ज्योतिषियों का मानना है कि अगर बच्चे का गंडमूल नक्षण में हो तब एक महीने के अंदर जब भी वही नक्षत्र लौटकर आए तो उस दिन गंडमूल नक्षत्र की शांति करा लेनी चाहिए अन्यथा इसका अशुभ परिणाम प्राप्त होता है।लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है।

शतपथ ब्राह्मण व तैतरीय ब्राह्मणनामक ग्रन्थ के अनुसार कुछ स्तिथियों में यह दोष समाप्त हो जाता है और ये बालक खुद के लिए भाग्यशाली होतें हैं |     

यदि जन्म लग्न वृष , सिंह, वृश्चिक या कुम्भ हो तो अशुभ फल नही मिलते |  

यदि कन्या का जन्म दिन में हो और पुत्र का जन्म रात्रि में हो तो मूल नक्षत्र का अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है |     

जिन बच्चों का जन्म मंगलवार या शनिवार को होता है तो इसके अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं |

 अश्विनी  प्रथम  चरण - पिता को कष्ट तथा भय रहे

अश्विनी  दूसरा  चरण - सुख सम्पत्ति में वृद्धि हो

अश्विनी  तीसरा  चरण - राजकीय कार्यो में विजय तथा नौकरी में प्रगति हो

अश्विनी  चौथा चरण - धन लाभ तथा परिवार में कोई मांगलिक कार्य हो

उपाय - गणेश जी का पूजन करना चाहिए. माह के किसी भी एक गुरुवार या बुधवार को धूसर रंग के वस्त्र, लहसुनिया आदि में से किसी भी एक वस्तु का दान करना फलदायी रहता है. आपको मंदिर में झंडा फहराने से भी लाभ मिल सकता है.

  अश्लेषा  प्रथम  चरण - शांति कराने से शुभ फल प्राप्त हो

 अश्लेषा दूसरा  चरण - अचानक धन की हानि हो सकती है

 अश्लेषा  तीसरा  चरण - माता के लिये अनिष्टकारी रहेगा

 अश्लेषा चौथा चरण - पिता के धन का अपव्यय होगा एंव बच्चों की शिक्षा में व्यवधान की सम्भावना

उपाय - बुध का पूजन करना फलदायी रहता है. माह के किसी भी एक बुधवार को हरी सब्जी, हरा धनिया, पन्ना, कांसे के बर्तन, आवला आदि वस्तुओं में से किसी भी एक वस्तु का दान करना शुभकारी रहता है.

मघा  प्रथम  चरण - माता को कष्ट

मघा दूसरा  चरण - पिता के अनिष्टकारी

मघा  तीसरा  चरण - माता के लिये अनिष्टकारी रहेगा

मघा चौथा चरण - सुख समृधि में वृद्धि

उपाय - गणेश जी का पूजन करना चाहिए. माह के किसी भी एक गुरुवार या बुधवार को धूसर रंग के वस्त्र, लहसुनिया आदि में से किसी भी एक वस्तु का दान करना फलदायी रहता है. आपको मंदिर में झंडा फहराने से भी लाभ मिल सकता है.

ज्येष्ठा  प्रथम  चरण - बड़े भाई  को अनिष्टकारी

ज्येष्ठा दूसरा  चरण - छोटे भाई के लिए अनिष्टकारी

ज्येष्ठा  तीसरा  चरण - माता को मानसिक व शारीरिक कष्टकारी 

ज्येष्ठा चौथा चरण - स्वयं के लिए कष्टकारी

उपाय - बुध का पूजन करना फलदायी रहता है. माह के किसी भी एक बुधवार को हरी सब्जी, हरा धनिया, पन्ना, कांसे के बर्तन, आवला आदि वस्तुओं में से किसी भी एक वस्तु का दान करना शुभकारी रहता है.

मूल  प्रथम  चरण - पिता के लिए शारीरिक कष्टकारी व धन की हानी

मूल दूसरा  चरण - माता को अनिष्टकारी

मूल  तीसरा  चरण - धन का अपव्यय व परिवार में विरोधाभास

मूल चौथा चरण - शांति कराने से लाभ

उपाय - गणेश जी का पूजन करना चाहिए. माह के किसी भी एक गुरुवार या बुधवार को धूसर रंग के वस्त्रलहसुनिया आदि में से किसी भी एक वस्तु का दान करना फलदायी रहता है. आपको मंदिर में झंडा फहराने से भी लाभ मिल सकता है.

रेवती प्रथम  चरण - सरकार से सम्मान, धन लाभ

रेवती दूसरा  चरण - परिवार में वैभव तथा प्रसन्नता रहेगी

रेवती  तीसरा  चरण - नौकरी व व्यवसाय में लाभ होगा। मन प्रसन्नचित्त रहे 

रेवती चौथा चरण - विविध प्रकार के कष्ट आ सकते हैं

उपाय - बुध का पूजन करना फलदायी रहता है. माह के किसी भी एक बुधवार को हरी सब्जीहरा धनियापन्नाकांसे के बर्तनआवला आदि वस्तुओं में से किसी भी एक वस्तु का दान करना शुभकारी रहता है.

जातकाभरण नामक ग्रन्थ में कहा है कि जिस बालक का जन्म कृष्ण पक्ष की तृतीया मंगलवार, दशमी शनिवार और शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी बुधबार सहित हो और मूल न्क्षत्र भी हो तो ऐसे समय में जन्मा बालक समग्र कुल का नाश करता है। दिन, संज्ञा, प्रातःकाल में जन्म हो तो क्रमशःपिता, माता, पशु और मित्र वर्गों को मूल नष्ट फल करते हैं।

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